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EVM वीवीपैट की गिनती पर फ़ैसला सुरक्षित, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आयोग पर नियंत्रण हमारे अधिकार में नहीं

 24 Apr 2024

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों की 100 फीसदी गिनती की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा हमारे पास चुनाव आयोग को नियंत्रित करने का अधिकार नहीं है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि वह महज संदेह के आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकते। इस याचिका को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। इस केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद रहे हैं।


पिछली सुनवाई के दौरान किया हुआ था

इससे पहले 18 अप्रैल को कोर्ट ने वकीलों और चुनाव आयोग की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद वोटरों को वीवीपैट से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। जिस पर चुनाव आयोग ने कहा था कि वीवीपैट की पर्ची अगर वोटरों को दी गई, तो यह उनकी गोपनीयता के लिए खतरा होगा। बूथ के बाहर इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता होनी चाहिए। कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताने को कहा था।


याचिका में क्या लिखा है

याचिका में वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दो सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक भाजपा से जुड़े हुए हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव के बाद एक संसदीय समिति ने ईवीएम में गड़बड़ी पाई थी लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक इसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया है।


2019 लोकसभा चुनाव में भी उठा था ईवीएम का मुद्दा

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भी 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने सभी ईवीएम में से कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक ईवीएम का वीवीपैट मशीन से मिलान करता था। लेकिन अप्रैल, 2019 में मिलान के लिए ईवीएम की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी गयी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ तकनीकी विशेषज्ञों ने सभी ईवीएम को वीवीपैट से मिलान करने की मांग की याचिका दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा एडीआर ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम चुनाव निष्पक्षता पर कुछ ज्यादा ही संदेह करने लगे है।